भूगोल
मुंगेर २५.२३ अक्षांश एवं ८६.२६ देशांतर पर अवस्थित है |
इतिहास
महाभारत काल का मोदगिरी आज मुंगेर के नाम से जाना जाता है। मुंगेर बंगाल के अंतिम नवाब मीरकासिम की राजधानी भी था। यहीं पर मीरकासिम ने गंगा नदी के किनारे एक भव्य किले का निर्माण कराया था। यह किला 1934 में आए भीषण भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन इसका अवशेष अभी भी शेष है। (इस किले के संबंध में कहा जाता है कि यह महाभारत काल का ही है) यहीं पर स्थित कष्टहरिणी घाट हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए पवित्र माना जाता है। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार गंगा नदी के घाट पर स्नान करने से एक व्यक्ति का सभी कष्ट दूर हो गया था, उसी वक्त से इस घाट को कष्टहरिणी घाट' के नाम से जाना जाता है। इस पवित्र घाट के समीप ही नदी के बीच में माता सीताचरण का मंदिर स्थित है। यहां जाने के लिए नावों का सहारा लिया जाता है।
आवागमन
हवाई मार्ग
मुंगेर आने के लिए जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो यहां से लगभग 183 कि.मी. दूर राजधानी पटना में स्थित है, से आया जा सकता है।
रेल मार्ग
मुंगेर स्थानीय रेलसेवा से जुड़ा हुआ है, लेकिन यहां का प्रमुख रेलवे स्टेशन जमालपुर है। जमालपुर देश के विभिन्न राज्यों से जुड़ा है, जैसे दिल्ली, हावड़ा, पटना, भागलपुर आदि। मुंगेर से गया के लिए भी सीधी ट्रेन है।
सड़क मार्ग
यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर स्थित है, जो लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। भागलपुर के माध्यम से यह शहर उत्तरी बिहार और मध्य बिहार के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
स्थानीय आवागमन के साधन- ऑटो रिक्शा, साइकिल रिक्शा, तांगा, टाटा 407, जीप, टेकर आदि आदि।
जनसंख्या
२००१ की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या:[१]
शहरी क्षेत्र:- ३,१६,५८६
देहाती क्षेत्र:- ८,१८,९१३
कुल:- ११,३५,४९९
मुख्य आकर्षण
मुंगेर का किला
मुंगेर अपने ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। बंगाल के अंतिम नवाब मीरकासिम का प्रसिद्ध किला यहीं पर स्थित है। यह किला गंगा नदी के किनारे बना हुआ है। नदी इस किले को पश्चिम और आंशिक रूप से उत्तर दिशा से सुरक्षित करता है। इस किला में चार द्वार हैं, जिसमें उत्तरी द्वार को लाल दरवाजा के नाम से जाना जाता है। यह विशाल दरवाजा नक्काशीदार पत्थरों से हिन्दू और बौद्ध शैली में बना हुआ है। किले में स्थित गुप्त सुरंग पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। 1934 में आए भीषण भूकंप से इस सुरंग को काफी क्षति पहुंचा है।
पीर शाह नूफा का गुंबद
पीर शाह नूफा का गुंबद किला के दक्षिणी द्वार के सामने एक टीले पर स्थित है। यह जगह बुद्धिष्ठ ढ़ांचे की अंतिम निशानी से भी पर्यटकों को रूबरू कराता है। इस गुंबद में एक बड़ा सा प्रार्थना कक्ष है जिससे एक कमरा भी जुड़ा हुआ है। गुंबद के अंदर नक्काशी किया हुआ कुछ पत्थर भी देखने को मिलता है जो संभवत: हिन्दू मंदिर का अवशेष प्रतीत होता है। यह गुंबद हिंदू और मुस्लिम दोनों संप्रदायों के लिए समान रूप से पूज्यनीय है।
शाह शुजा का महल
शाह शुजा का महल मुंगेर के खूबसूरत स्थानों में से एक है। आजकल इसको एक जेल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। जेलर के ऑफिस के पश्चिम में तुर्की शैली में बना (खुले छत) एक बड़ा सा स्नानागार है। महल के बाहर एक बड़ा सा कुंआ है जो एक गेट के माध्यम से गंगा नदी से जुड़ा हुआ है। हालांकि अब इसको ढ़ंक दिया गया है, अन्यथा पर्यटकों के लिए यह काफी दिलचस्प था।
सीता कुंड
मुंगेर से 6 कि.मी. पूर्व में स्थित सीता कुंड मुंगेर आनेवाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस कुंड का नाम पुरुषोत्तम राम की धर्मपत्नी सीता के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि जब राम सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाकर लाए थे तो उनको अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। धर्मशास्त्रों के अनुसार अग्नि परीक्षा के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया था यह वही कुंड है। इस कुंड को बिहार राज्य पर्यटन मंत्रालय ने एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया है। इसके पास ही एक डैम का निर्माण भी कराया गया है। यहां खासकर माघ मास के पूर्णिमा (फरवरी) में स्नान करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस कुंड का पानी कभी-कभी 138° फॉरेनहाइट तक गर्म हो जाता है।
श्रृंगऋषि
खड़गपुर की पहाडि़यों पर स्थित यह तीर्थस्थल काफी मशहूर है। यह मुंगेर से 32 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में लक्खीसराय जिला (कजरा) के समीप स्थित है। इस स्थान का नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंग के नाम पर रखा गया है। यहां शिवरात्रि के शुभ अवसर पर (फरवरी) श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। पर्यटकों के बीच यहां का झरना आकर्षण के केंद्र बिंदू में रहता है। ठंड के मौसम में इस झरने का पानी हल्का गर्म हो जाता है जिसमें स्नान करने के लिए दूर दराज से पर्यटक आते हैं। यहीं पर एक डैम का निर्माण भी किया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। यहां स्थित कुंड जिसको लोग ऋषिकुंड के नाम से जानते हैं, के बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति चाहे लंबा हो या छोटा पानी उसके कमर के आसपास तक ही होता है। यहीं भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जो भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है।
इसके अलावा चण्डी स्थान, मुल्ला मोहम्मद सईद का मकबरा, खड़गपुर झील, रामेश्वर कुंड, पीर पहाड़, हा-हा पंच कुमारी, उरेन, बहादूरीया-भूर, भीमबांध आदि-आदि भी देखने लायक जगह है।
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